पाताल लोक सीजन 2 का रिव्यू जयदीप अहलावत ने फिर जीता दिल.
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पाताल लोक का दूसरा सीजन दर्शकों के बीच अपनी जगह बनाने के लिए तैयार है। पहले सीजन की शानदार सफलता के बाद, सीजन 2 से भी वैसी ही उम्मीदें की जा रही थीं। जयदीप अहलावत का प्रदर्शन इस बार भी मुख्य आकर्षण है।
कहानी की शुरुआत
सीजन 2 की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां पहला सीजन खत्म हुआ था। जयदीप अहलावत उर्फ हाथीराम चौधरी एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के रूप में लौटते हैं। पहला सीन ही काफी प्रभावशाली है। नागालैंड के एक बड़े नेता का सिर कटा शव मिलता है। यह घटना एक बड़ा राजनीतिक मोड़ लेती है, क्योंकि इस नेता की योजना से नागालैंड में ₹200 हजार करोड़ का निवेश होने वाला था।इसी के साथ एक मजदूर की गुमशुदगी का मामला कहानी में ट्विस्ट लेकर आता है।दोनों केस आपस में कैसे जुड़े हैं, यह जानने के लिए आपको सीजन देखना होगा।
पात्र और प्रदर्शन
कई पुराने किरदार इस सीजन में लौटे हैं। हाथीराम चौधरी और इंस्पेक्टर अंसारी प्रमुख हैं। अंसारी, जो पहले हाथीराम का जूनियर था, अब सीनियर बन गया है। यह बदलाव कहानी में एक नया डायनेमिक जोड़ता है। जयदीप अहलावत ने एक बार फिर शानदार अभिनय किया है। उनके किरदार की ईमानदारी और संघर्ष को बखूबी दिखाया गया है। अंसारी और अन्य सहायक कलाकारों का प्रदर्शन भी सराहनीय है।
क्या है खास?
- पॉलिटिकल एंगल: कहानी इस बार ज्यादा राजनीतिक और गंभीर है। नागालैंड की पृष्ठभूमि में मुद्दे गहराई से सामने आते हैं।
- सस्पेंस और थ्रिल: गुमशुदा मजदूर का मामला और साइको किलर का एंगल अंत तक बांधे रखता है।
- लोकेशन और माहौल: रियल लोकेशन और दमदार बैकग्राउंड स्कोर कहानी को प्रभावशाली बनाते हैं।
सीजन 1 बनाम सीजन 2
सीजन 1 की तुलना में यह सीजन थोड़ा कम डार्क है। हालांकि, इसके किरदार और घटनाएं दर्शकों को बांधे रखते हैं।
अगर आप पहले सीजन में हथौड़ा त्यागी जैसे यादगार किरदारों को मिस करते हैं, तो इस सीजन में नए साइको किलर्स आपको आकर्षित करेंगे।
अंतिम निष्कर्ष
पाताल लोक का यह सीजन ईमानदारी और संघर्ष की कहानी को बखूबी पेश करता है।अंतिम एपिसोड तक यह सीजन आपका ध्यान खींचेगा और आगे के सीजन की उम्मीदें भी बढ़ा देगा।
रेटिंग: (3.5/5)
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