Mrs. Movie Review: सान्या मल्होत्रा की दमदार परफॉर्मेंस ने बनाई इसे खास
![]() |
मिसेज़ में सान्या मल्होत्रा की दमदार परफॉर्मेंस।(Photo Credit - India Today) |
एक कहानी जो हर समाज से जुड़ती है
सान्या मल्होत्रा ने रिचा का किरदार निभाया है, जो शादी के तुरंत बाद समझ जाती है कि उसके जीवन की भूमिका पहले से तय कर दी गई है। मिसेज़ एक ऐसे परिवार को दिखाती है जहां पति दिवाकर कुमार (निशांत दहिया) और उनके पिता अश्विन कुमार (कंवलजीत सिंह) समाज में सभ्य दिखते हैं, लेकिन महिलाओं को पारंपरिक घरेलू जिम्मेदारियों में बांधकर रखना चाहते हैं।
रिचा के डांस टीचर बनने के सपने को तवज्जो नहीं दी जाती, और उससे सिर्फ रसोई संभालने, सफाई करने और सेवा में रहने की उम्मीद की जाती है। फिल्म यह बेहतरीन तरीके से दिखाती है कि पितृसत्ता केवल हिंसा से ही नहीं, बल्कि मामूली लगने वाली मर्दानगी, भावनात्मक नियंत्रण और माइंड गेम्स से भी लागू की जाती है।
सान्या मल्होत्रा की करियर की बेहतरीन परफॉर्मेंस
सान्या मल्होत्रा ने इस फिल्म में जबरदस्त अभिनय किया है। एक खुशहाल नवविवाहिता से लेकर पितृसत्तात्मक रिश्तों के जाल में फंसी महिला तक का सफर उन्होंने बखूबी दिखाया है। उनके साथ निशांत दहिया ने अपने किरदार को इतनी मजबूती से निभाया है कि दर्शक उनके किरदार से नफरत करने लगते हैं।
एक सोचने पर मजबूर करने वाली कहानी
निर्देशक अरति कदव ने मूल फिल्म की आत्मा को बनाए रखते हुए इसे उत्तर भारतीय पृष्ठभूमि में ढाला है। मिसेज़ केवल गुस्सा नहीं दिलाती, बल्कि उस घुटन को महसूस कराती है जिससे एक महिला गुजरती है। फिल्म में लीक करता रसोई का सिंक एक गहरे प्रतीक के रूप में उभरता है—यह रिचा की चुपचाप घुट रही जिंदगी का प्रतिनिधित्व करता है। फिल्म का एक बेहतरीन संवाद है, जब रिचा अपने पति से कहती है कि उसे ‘रसोई जैसी गंध आ रही है’, जिस पर वह इसे आकर्षक बताता है। लेकिन जैसे-जैसे उनका रिश्ता बिगड़ता है, यही बात उसके लिए तानों में बदल जाती है।
क्यों देखें मिसेज़?
- एक
दमदार और सामाजिक
रूप से प्रासंगिक
कहानी
- सान्या
मल्होत्रा की शानदार
परफॉर्मेंस
- अरति
कदव का सूक्ष्म
लेकिन प्रभावी निर्देशन
- पारंपरिक
भारतीय घरों में
महिलाओं की स्थिति
का यथार्थ चित्रण
अंतिम फैसला
मिसेज़ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि समाज के लिए एक आईना है। यह हमें याद दिलाती है कि उत्पीड़न हमेशा हिंसा के रूप में नहीं होता—कई बार इसे परंपरा का नाम दे दिया जाता है। यह फिल्म निश्चित रूप से महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की प्रेरणा देगी।
Comments
Post a Comment